वैसे तो कला को किसी प्रान्त या देश की सीमा में नहीं बांधा जा सकता है लेकिन हर सभ्यता - संस्कृति की अपनी एक पहचान होती है जो उस क्षेत्र के कला, संगीत, नृत्य आदि में परिलक्षित होती रही है। और उन्हें जानने समझने के लिए हमें उनके नजदीक जाने की जरुरत होती ह। गैलरी पायनीर जो दिल्ली के लाडो सराय में अवस्थित है ने एक महती योजना का प्रारम्भ किया है ,भारत के सभी राज्यों के कलाकारों की समूह प्रदर्शनी का, जो सबसे पहले मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, और अभी बारी है बिहार की जिसका नाम है " पैनोरमिक व्यू ऑफ़ बिहार" ।
प्रदर्शनी का उद्घाटन 20 अगस्त को बड़ी संख्या में उपस्थित कला प्रेमियों के बीच केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के सचिव श्री उपेंद्र प्रसाद सिंह ने दीप जला कर किया। इसी अवसर पर बिहार की लोक गायिका आरती मिश्रा द्वारा प्रस्तुत बिहारी लोक गीत ने सभी दर्शकों का मन मोह लिया। आरती मिश्रा फ़िलहाल दिल्ली के जसोला विहार डी ए वि स्कूल में संगीत की शिक्षिका हैं।
" पैनोरमिक व्यू ऑफ़ बिहार " शीर्षक की इस प्रदर्शनी में बिहार के अतिवरिष्ठ कलाकार पद्मश्री
श्याम शर्मा के साथ नवोदित कलाकारों की कृतियां भी प्रदर्शित की गई है। प्रदर्शनी के क्यूरेटर राजेश चन्द हैं जो खुद भी कलाकार हैं के अनुसार इस प्रदर्शनी में 57 चित्र कृतियों के साथ 5 मूर्तिकारों की विभिन्न माध्यमों में निर्मित 10 मूर्ति शिल्प शामिल हैं। 20 दिनों की यह प्रदर्शनी प्रदर्शनी 10 सितम्बर तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी।
कर्णाटक के धारवाड़ से चित्रकला में स्नातक प्रवीण उपाध्ये गैलरी पायनियर के स्वामी हैं, वर्ष 2024 में गैलरी पायनियर का रजत जयंती मनाने जा रहे है वे गैलरी के संचालक के साथ-साथ स्वयं भी कलाकार हैं शायद कलकारों के इस दर्द को ज्यादा महसूस करते हैं। यही वजह बानी इस महती प्रदर्शनी का।
प्रदर्शनी के उद्घाटन से पहले गैलरी पायनियर के संचालक उपाध्ये बहुत ज्यादा आशान्वित नहीं दिख रहे थे इस प्रदर्शन को लेकर लेकिंन क्यूरेटर राजेश चन्द को पूरी उम्मीद थी की दर्शकों का पूरा प्यार और सहयोग मिलेगा। प्रदर्शनी के उद्घाटन के दिन दर्शक और कलाप्रेमी इतनी अधिक संख्या में पहुंचे की गैलरी में जगह कम पड़ने लगी, गर्मी से परेशान होकर कुछ लोग बहार आ गए । यह कलाकारों तथा आयोजकों के लिए अच्छा संकेत कहा जा सकता है।
आशा है की इसी तरह अन्य राज्यों के कलाकारों की प्रदर्शनी आने वाले समय में आयोजित की जारी रहेगी ।
प्रदर्शनी में कुल 24 बिहारी कलाकार हैं
अजय नारायण , अनिल कुमार सिन्हा, अरविन्द सिंह, अशोक कुमार, अशोक तिवारी, भोला कुमार, बिपिन कुमार, केसरी नंदन ,मोहम्मद सुलेमान, मीनाक्षी झा बनर्जी, नरेंद्र पाल सिंह, पिंटू प्रसाद, प्रसून पोद्दार, रागिनी सिन्हा, राजेश चन्द, संजू दास, शयाम शर्मा, श्रीकांत पांडेय , उमाशंकर पाठक, उमेश कुमार , उमेश प्रसाद , विम्मी इंद्रा .
प्रदर्शित चित्रों में-
रंगों की समरसता, परिपक्व संयोजन, विषय और कैनवास की विविधता, एक लंबे समय से कला अध्यापक रहे श्री शर्मा अभिव्यक्ति के परिपक्व चित्रकार है जो इस उम्र में भी नित् नए प्रयोग करते रहते हैं।
इस प्रर्दशनी के सूत्रधार के साथ एक संजीदा कलाकार है जिन्होंने एक समय में उत्सर्जन जैसे गंभीर विषय को भी बड़े आसान तरीके से समझाने का प्रयास किया है। इस बार रंगीन धागों के मध्यम से अपनी बात बता रहे हैं अपने नवीनतम चित्रों के मध्यम से वाकई रंगीन धागों की उलझन को सुलझातें हुए नज़र आते हैं।
अजय नारायण की A BIRD EYES VIEW-1 इस दुनिया को देखने का एक अलग नजरिया है। यह एक अच्छा उदाहरण है यहाँ तक की हम मानव भी एक दूसरे को समान नजरिये से नहीं देख पते हैं ,चिड़ियाँ जो इस धरती या समाज को हमेशा ऊपर से देखती है ,उन्हें वैसा नहीं दीखता जैसा एक आम मनुष्य को दिखाई पड़ता है।
FLOWER SELLER GIRL तथा GIRL WITH FLOWER दो कृतियाँ प्रदर्शित हैं , सिन्हा चित्रों के अलावा कला लेखन , नाटक सज्जा , के आलावा फिल्म निर्माण तथा टीवी से भी जुड़े रहे हैं। इनका सम्पूर्ण अनुभव इनके चित्रों में परिलक्षित है।
अरबिंद सिंह की THROUGH THE WINDOW- l एवं THROUGH THE WINDOW- ll, पूर्ण अपूर्ण की कहानी एक नजर में दर्शकों तक अपनी बात नहीं पहुंचा पा रहे है।
PROFOUND AFFECTION और PEACE WITHIN प्रदर्शित है , अशोक जी एक फ्रेंच स्कॉलर रह चुके है , 90 के दशक में बिहार की कला में जन जागरण के एक मुख्य सूत्रधार रहे और प्राची जैसी संस्था के माध्यम से बिहार में कला गतिविधियों को प्रभावित प्रेरित कर एक नयी परिभाषा दी , वैसे तो इनके संयोजन , रंगों की समरसता विषय वास्तु को दर्शको तक उसी ताजगी के साथ पहुंचने की कला वो छात्र जीवन से ही जानते हैं यही वजह है की इनके शिक्षक भी इनके कलाकारी के कायल रहे है।
अशोक तिवारी की अनटाइटल्ड शीर्षक के ड्राइंग कला की बारीकियों से ओत-प्रोत हैं। बिहार में 80 के दसक के कला में एक revolutionary व्यक्ति रहे हैं जीन्होने बिहार से बाहर बिहारी कलाकारों की एक नयी पहचान बनायीं है। अमूर्त कला के धनि तिवारी जी के चित्रों को देख कर ये एहसास होता है की शायद रंगों के प्रयोग से चित्र के विषय वस्तु को इतना अधिक प्रभावी नहीं बनाया जा सकता था। जो सिर्फ श्याम स्वेत में परिलक्षित है।
GROWTH और UNTITLED नवोदित मूर्तिकार में प्रचुर सम्भावनाये दिखती हैं, अपनी अभिव्यक्ति के लिए मार्बल जैसे माध्यम का चुनाव आज के समय में साहस की बात है।
SPACES IN CHAOS और RAY OF HOPE
बिपिन की आकृतियां बिंदु से रेखा, रेखा से अपूर्ण और फिर पूर्ण होती कृति उनमे चटक रंगों का प्रयोग अद्भुत जान पड़ता है। छात्र जीवन में बिपिन वाटर कलर के माहिर खिलाडी रहे हैं जो अब अपनी भावनाओं को रेखाओं में प्रतुत करते हैं ।
केसरी नंदन बी एच यू से स्नातक केसरी नन्दन के सेरामिक के काम की खासियत है पांच तत्वों का समाहित होना । पंचमहाभूत यानि धरती ,जल, वायु ,अग्नि और आकाश इन्हें हमेशा से प्रभावित करती रही हैं “Reincarnation-1'' एवं ''Reincarnation-2'' जिसे इन्होंने 1280'C के तापमान तक पकाया था ताकि अभिव्यक्ति को परिलक्षित होने के लिए जो आवश्यक टेक्सचर है वो दर्शकों से संवाद स्थापित कर सके।
इनके चित्रों में संस्कृति की अद्भुत झलक मिलती है , श्वेत शयाम चित्रों में कहीं कहीं चटक रंगों का प्रयोग अद्भुत संयोजन होता है
मूलतः सामाजिक भावनाओं को पारम्परिक मधुबनि पेंटिंग में नए आयाम तलाश करने की कोशिश कर रही है।
भट्टे में पके अहिंसा के ईंट जो किसी भी समाज का ताना बाना है - का मुख्य माध्यम है , को लेकर काफी संजीदा हैं,और अपनी अभिव्यक्ति को विस्तार दे रहे हैं।
पटना जैसे शहर में रहकर मूर्तिकला के हर आयाम को अपनी अभिव्यक्ति में शामिल करते हैं चाहे पोट्रैट हो या अन्य रचनात्मकता कार्य इनकी हर कृति कबीले तारीफ है
मूलतः अपरम्पारिक माध्यम का प्रयोग करते हैं अपने कामों में।
जल रंग में काम करने वाले कलाकारों की संख्या बहुत ही कम है , लेकिन उमेश कुमार लम्बे समय से पर्यावरण प्रदुषण के लिए चिंतित दिखाई पड़ते हैं जो उनके काम में स्पस्ट दीखता है
संजू दास ने अपने गांव के पुरे परिदृश्य को एक महिला के चेहरे में चित्र के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया है
अनटाइटल्ड शीर्षक से बनी दोनों चित्रों में काफी परिपक़्व रंगों का प्रयोग किया है साथ ही चित्र संयोजन काफी सशक्त जान पड़ता है।
बिहारी कलाकारों में हरफनमौला होने का हुनर सीखने वाले नरेंद्र देश विदेश में अपनी चित्रों के अलावा बात चीत करने की शेली के लिए भी जाने जाते हैं। रंगों और रेखाओं को विस्तार देने की इनकी अपनी एक विशेष शैली है जो दर्शको को काफी आकर्षित करती है।
रागिनी सिन्हा पतंग की उड़ान भरने वाली शायद भारत की एकमात्र महिला कलाकार हैं, जो अपने सपने के पतंग को न जाने कितने रंगों में प्रदर्शित कर चुकी हैं।
बिहार के एक फुटपाथ को नंदलाल बसु कला दीर्घा बनाने और उसे जीवित रखने में महत्पूर्ण भूमिका रही है, इन दिनों लंबे समय से शून्य में अनंत की तलाश कर रहे है जो कला के साथ विज्ञान का भी गुड रहस्य है को अपने चित्र के माध्यम से दिखाने का प्रयास कर रहे हैं।
पाठक जो अपनी अनूठी कल्पनाशीलता से बहुआयामी डेकोरेटिव रचना संसार का निर्माण करते हैं, अपने आप में अनोखा और अद्भुत है, वैसे सपने तो सभी कलाकार देखते है सोते जागते, लेकिन उन सपनों को सिलसिलेवार ढग से आम दर्शक के समझने वाली भाषा में कलात्मकता से प्रस्तुत करना बड़े ही महारत की बात है।
पत्थर के फूल कहावत को चरितार्थ करने वाले श्रीकांत अपने समय के चर्चित मूर्तिकार हैं जिनके पत्थर के फूल बनाने के हुनर का कायल पूरा भारत है, इन दिनों क्यूरेटर की भूमिका निभा रहे हैं icsi गैलरी दिल्ली में
उड़ान और बर्ड शीर्षक से बने चित्र जो एक पक्षी के आज़ादी की कहानी कह रही हैं।
राही एम के , मुंबई , भारत
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