टी. पी. एस. कॉलेज, पटना में एक प्रयोग की शुरुआत हुई जिसमे कला के प्रति बच्चों में जागरूकता को बढ़ाने के लिए प्रांगण में ही एक शानदार कला म्यूजियम "रवीन्द्रनाथ टैगोर संग्रहालय एवं कला दीर्घा" की स्थापना की गई
बिहार यानि बौद्धों को रहने की जगह। कई धार्मिक एवं सामाजिक क्रांति ने बिहार की धरती को वर्षों से बड़े ही जतन से सींचा है। सम्पूर्ण विश्व में यहाँ की हवा ने ज्ञान की खुशबू को बड़े प्यार से महकाया है। आज भी किसी बड़ी क्रांति की बात होती है तो बिहार ही इसका मुख्य केंद्र होता है।
बिहार की राजधानी है पटना। हाल ही में यहाँ के टी. पी. एस. कॉलेज में एक प्रयोग की शुरुआत हुई जिसमे कला के प्रति बच्चों में जागरूकता को बढ़ाने के लिए प्रांगण में ही एक शानदार कला म्यूजियम "रवीन्द्रनाथ टैगोर संग्रहालय एवं कला दीर्घा" की स्थापना की गई जहाँ बिहार की लोक कलाओं के साथ कई आधुनिक कलाकारों की कृतिओं को स्थाई रूप से प्रदर्शित किया गया है।
जिन कलाकारों की कृतियां यहाँ प्रदर्शित हैं वे इस प्रकार हैं -
अशोक कुमार, पेंटिंग * राजेश चन्द , पेंटिंग * अर्चना सिन्हा, प्रिन्ट मेकिंग * राखी कुमारी, पेंटिंग * अनीता कुमारी, पेंटिंग * अजय कुमार पाण्डेय , ड्राइंग * रंजन कुमार सिंह, प्रिन्ट मेकिंग * अमित कुमार, पेंटिंग * रंजीता कुमारी, पेंटिंग * उमेश शर्मा, पेंटिंग * रामू कुमार, मूर्ति * मुकेश कुमार , मूर्ति * पिंटू प्रसाद, मूर्ति * रमाशंकर जी, मूर्ति * रूपेश कुमार, मूर्ति * विभा कुमारी, मधुबनी पेंटिंग * राज कुमार लाल, मधुबनी पेंटिंग * कुमार सम्भव, मंजूषा पेंटिंग * महारथी इंस्टीट्यूट, टिकली पेंटिंग।
यहाँ कुछ रिपलीका रखी गई है जिनमे - यक्षिणी, बुद्ध, पटना कलम, सूजनी कला, टेराकोटा, सिरामिक, सिक्की कला, रवीन्द्रनाथ टैगोर की पेंटिंग शामिल हैं।
रवीन्द्रनाथ टैगोर संग्रहालय एवं कला दीर्घा की परिकल्पना एवं निष्पादन जावेद अख्तर खां जो टी. पी. एस. काॅलेज, पटना में हिन्दी के प्रोफेसर हैं एवं पटना निवासी वरिष्ठ कलाकार तथा वास्तुकार उमेश शर्मा के देख-रेख में संपन्न की गई।
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