नई दिल्ली 12 जुलाई 2022 : किसी जंगल या बगीचे में भीषण सुखाड़ या बाढ़ के फलस्वरूप मृत हुए पेड़-पौधों में पहली बरसात के उपरांत उत्त्पन्न सड़ांध के बाद नए एवं पुष्ट कोपलों का निकलना यह बताता है की अब बहार आने वाली है।
दो वर्षों की भीषण त्रासदी झेलने के बाद सम्पूर्ण विश्व की तरह दिल्ली की कला गतिविधियाँ भी अब अपनी तरुणाई की ओर अग्रसर है। कला दीर्घाओं में चहल -पहल पहले की तरह वापस लौटने लगी है। कलाकारों ने भी नए उत्साह के साथ अपनी कला साधना में लीन रह कर कुछ नायाब कृतियां गढ़ी है जो दीर्घाओं में दर्शकों के बीच नई ऊर्जा का संचार करने ने सक्षम हैं।
हाल ही में 12 जुलाई को दिल्ली की प्रसिद्ध कला दीर्घा 'त्रिवेणी कला संगम ' में भारत के पाँच वरिष्ठ कलाकारों की एक शानदार कला प्रदर्शनी की शुरुआत हुई। मन को मोह लेने वाली अमूर्त कृतियों ने दर्शकों को घंटों बांधे रखा। रंगों की मिठास लिए इन रचनाओं में कई नवीनतम आकर्षण थे।
पुणे के बापूसाहेब जांजे के काले संगमरमर में तरसे गए मूर्तिशिल्प चमक विहीन होते हुए भी आँखों को खींचने में बखूबी सक्षम दिखे। छेनी के लयबद्ध आघात से उत्पन्न टेक्सचर के साथ सूक्ष्मता से घिसे गए सतह का खूबसूरत तालमेल के कारण बेजान पत्थर भी बोलते से प्रतीत हो रहे थे।
बिहार के मुंगेर में जन्मे बिपिन कुमार कई वर्षों से दिल्ली में रहकर कला निर्माण कर रहे हैं। इनकी काले पेस्टल से उकेरी गई अमूर्त कृतियों के बीच हल्के रंगों का तालमेल आकर्षक लगाती है। सफेद कागज पर आड़ी-तिरछी खींची लकीरों का लयबद्ध समूह दर्शकों के मन से बतियाती प्रतीत होती है।
उत्तम चापटे मुंबई के रहने वाले सौम्य स्वाभाव वाले कलाकार हैं। अमूर्तन को प्रतिबिम्बित करती बड़े आकर के कैनवास पर बनी इनकी कृतियां चटख रंगों के साथ अलौकिक दुनियाँ का खूबसूरत एहसास कराती है।
सतीश वामनराव काले पुणे के निवासी हैं। बहुत ही मधुर प्रातः संगीत की तरह मन को सुकून देने वाली इनकी कृतियां कैनवास पर हलके रंगों से पूरे मुलायमता से भरपूर हैं। हल्के रंगों का सुन्दर प्रयोग इनकी कृतियों की विशेषता है।
इस प्रदर्शनी के सबसे काम उम्र के कलाकार हैं आनंद डाबली। आनंद अपने नाम के अनुरूप ही दिल को आनंदित करने वाली कृतियां बनाते हैं। सफ़ेद एवं काले ऐक्रेलिक रंगों का बहुत ही अनूठा संगम है इनकी कृतियों में। सधे हुए बारीक़ तूलिकाघात से उकेरी गई इनकी अमूर्त चित्र शैली प्रभावकारी है।
21 जुलाई तक चलने वाली इस प्रदर्शनी को बड़े ही जातां से संजोया है कलाकार और कला लेखक जय त्रिपाठी ने।
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